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Wednesday, 27 July 2022

क्या होती है चुड़ैल और इससे जुड़े हैरान कर देने वाले रहस्य



 चुड़ैलों का ठिकाना निर्जन स्थान में हो यह ज़रूरी नहीं है। इन्हें इंसानी बस्तियों के आस-पास भी देखा गया है। वे अपना शिकार ढूँढने के लिए किसी पर निर्भर नहीं होतीं और न ही उन्हें निर्जनता का सहारा लेना पड़ता है। ये रूप बदलने में पारंगत होती हैं और पल भर में अनिद्य सुंदरी का रूप धारण कर सकती हैं। ये सम्मोहन, स्तंभन और वशीकरण जैसी तंत्र विद्याओं में पारंगत होती हैं और अपने शिकार को पल भर में सम्मोहित कर सकती हैं। यही कारण है कि ये इंसानी बस्ती में मानवीय रूप में आ कर अपना शिकार चुन लेती हैं और फिर उसे सम्मोहित करके उसके मस्तिष्क पर नियंत्रण कर लेती हैं। सम्मोहित शिकार ख़ुद-ब-ख़ुद चुड़ैल के मोहपाश में बंधकर उसके पीछे उसके ठिकाने तक चला जाता है। कुछ शिकारों को वापस लौटते भी देखा गया है, लेकिन घर वापस लौटने वाले शिकार कुछ ऐसे लगते हैं, मानों उनके शरीर से ऊर्जा की आख़िरी बूंद तक निचोड़ ली गई है। वे थके-हारे, मंदगति और उदासीन से नज़र आते हैं और कुछ ही दिनों में भयंकर बुख़ार या जानलेवा व्याधि का शिकार हो कर मर जाते हैं।


चुड़ैलों को राष्ट्रीय राजमार्गों, जंगल से सटी कच्ची पगडंडियों, पुरानी बावड़ियों, कोयले की खदानों, रेगिस्तान में मौजूद नख़लिस्तानों और इस्तेमाल न होने वाले तालाबों के आस-पास भी देखा गया है। उनका प्रकोप इतना भयानक होता है कि कुछ किलोमीटर तक का दायरा नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। नकारात्मक ऊर्जा से भरे ऐसे स्थानों को हादसों, सड़क दुर्घटनाओं, मृत्यु, मनहूसियत, व्याधियों और बलाओं आदि से जोड़कर देखा जा सकता है। संवेदनशील मस्तिष्क वाले व्यक्ति इस नकारात्मक ऊर्जा को महसूस कर सकते हैं। महसूस करने का मतलब है कि चुड़ैलों के प्रकोप वाले स्थान में आपको यकायक माहौल में तब्दीली महसूस होगी, वातावरण में भारीपन का अहसास होगा, साँसों में तेज़ी आ जाएगी, मस्तिष्क में बुरे विचार घर कर लेंगे, मन में असुरक्षा की भावना पैदा होगी, छठी इंद्रीय से संकेत मिलेगा कि कुछ तो है, जो ठीक नहीं है।


कहा जाता है कि अगर किसी चुड़ैल ने सुंदर युवती का रूप धारण कर रखा हो, तब भी आईना उसका असली चेहरा दिखा देता है, लेकिन ऐसा हो सके यह ज़रूरी नहीं है। चुड़ैल के संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति इतना भाग्यशाली नहीं होता कि उसे उसका चेहरा आईने में देखने का मौक़ा मिले। चुड़ैलें हमलावर होती हैं और अपना शिकार चुनने के तुरंत बाद उस पर वशीकरण या सम्मोहन के बल पर काबू पा लेती हैं। ऐसी हालत में आईने में चेहरा देखने या न देखने की बात निरर्थक मालूम होती है। जानकारों का यह भी कहना है कि आम इंसान के पास इतनी सकारात्मक ऊर्जा ही नहीं होती कि वे चुड़ैल के उल्टे पैरों या उसे भयानक चेहरे को देखने के लिहाज़ से सजग रह सकें। हाँ, सच्चे कापालिकों और अघोरियों में यह शक्ति होती है कि वे चुड़ैलों को उनके असली रूप में देख सकें और उनकी नकारात्मक ऊर्जा के ज्वार को कुछ हद तक झेल सकें।

  चुड़ैलों में नकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है और यह भंडार किसी ब्लैक होल की तरह संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति की सकारात्मक ऊर्जा को खींचकर उसे तुरंत नकारात्मक ऊर्जा में बदल देता है। यहाँ तक कि स्थूल रूप वाली डायनें और सूक्ष्म रूप वाली प्रेतनियाँ भी चुड़ैल से कोसों दूर रहती हैं, क्योंकि उनकी नकारात्मक ऊर्जा का भंडार चुड़ैलों के नकारात्मक शक्ति के आगे बिल्कुल बौना होता है।


हिंदू मान्यता के अनुसार, अगर कोई स्त्री प्रसव के वक़्त कोई प्रबल या उत्कट इच्छा लिए मृत्यु को प्राप्त हो जाती है, या घोर मानसिक कष्ट सहते हुए मृत्यु को प्राप्त होती है, तो वह चुड़ैल बन जाती है, लेकिन यह बात पूरी तरह सच नहीं है। यह सच है कि चुड़ैल का जन्म त्रासदी से ही होता है, लेकिन प्रसव के दौरान घोर मानसिक और शारीरिक कष्ट सहते हुए अगर कोई स्त्री यह कामना करती है कि वह उसे मानसिक कष्ट देने वालों का समूल विनाश कर देगी और तब तक चैन नहीं लेगी, जब तक कि उसकी दुर्दशा से उपजा क्लेश ठंडा नहीं पड़ जाता, तो वह चुड़ैल बन सकती है, लेकिन यह भी एक मान्यता ही है, अतः हम कभी नहीं जान सकते कि किसी स्त्री की चुड़ैल बनने में आख़िर कौन-सी शक्ति या कुशक्ति मदद करती है। हालाँकि यह बात तय है कि काले जादू, टोने-टोटके, तंत्र-मंत्र आदि से उन्हें वश में नहीं किया जा सकता।


देवी महात्म्य में इसका पूरा वर्णन मिलता है कि माँ दुर्गा ने चंड-मुंड, रक्तबीज, शुंभ-निशुंभ, धूम्रलोचन व महिषासुर जैसे दैत्यों के साथ भीषण युद्ध करके उनका संहार किया था। देवी महात्म्य और दुर्गा सप्तशती से ही हमें पता चलता है कि इन भयानक दैत्यों और उनकी पूरी सेना का संहार अकेले माँ दुर्गा ने नहीं किया था। युद्ध शुरू होने पर माँ दुर्गा ने सैकड़ों शक्तियों का आह्वान किया था, जिसके फलस्वरूप उनके शरीर से वीभत्स और अति रौद्र स्वरूप वाली अपार तामसिक शक्तियों से संपन्न सैकड़ों देवियाँ बाहर निकली थीं। माँ दुर्गा ने माँ काली, माँ तारा, माँ चामुण्डा के साथ-साथ सैकड़ों क्षुद्र शक्तियों का आह्वान किया था, जैसे शाकिनी, डाकिनी, काकिनी, राकिनी, लाकिनी, हाकिनी, मसायन, चुड़ेरन, चांडालिका आदि। 

   इन क्षुद्र महाशक्तियों की ध्वनि इतनी विकराल, तीक्ष्ण और भयानक थी कि नरभक्षी दैत्य भी बुरी तरह दहल गए थे। उनकी लाखों सियारों के चीखने जैसी कर्कश ध्वनि को सुनकर दैत्यसेना तितर-बितर होने लगी थी। माँ दुर्गा द्वारा बुलाई गई इन शक्तियों में चुड़ैलें भी थीं, जिन्हें चांडालिकाएँ कहा जाता है। चांडालिकाएँ माँ धूमावती, माँ दुर्गा और माँ काली की सेविकाएँ होती हैं और दिन-रात उनकी सेवा में लगी रहती हैं, अतः सच कहा जाए, तो चुड़ैले पूज्य होती हैं

दोस्तों हिंदु धर्म के अंदर भूतों के कई प्रकार बताए गए हैं। जैसे सामान्य भूत और झरूटिया भूत व महिला भूत और चूड़ैल । कई लोगों को नहीं पता की एक सामान्य भूतनी और चूड़ैल के अंदर क्या फर्क है। वे मानते हैं की हर महिला जो भूत होती है। उसी को चूड़ैल बोलते हैं। लेकिन वास्तव मे ऐसा नहीं है।‌‌‌चूड़ैल अलग प्रकार की प्रेतनी होती है। उसके पास एक सामान्य महिला भूत से अधिक शक्तियां होती हैं। जबकि सामान्य प्रेतनी के पास कम शक्तियां होती हैं।

 

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