शिवानुगम -“सत्य घटना “- पचमढ़ी स्थित गुप्त महादेव के संस्मरण का सत्य वृतांत – श्रीधाम ज्योर्तेश्वर बगासपुर म.प्र.
सन 1992 घर में कल्याण आती थी कल्याण के एक लेख में एक व्याख्यान था जिसमें लिखा था कि किस प्रकार से रामचंद्र जी ने अपने भक्त की रक्षा की थी एक बांध को फूटने से बचाया था । मेरे मन में शंका आ गई थी ऐसे कैसे हो सकता है राम जी छोटे से बालक के रूप में और बांध के पास खड़े रहकर बाधं को फूटने से किस प्रकार।बचासके थे और क्या यह कलयुग में इस तरह से संभव है मन में शंका तो आ ही गई थी। कुछ समय बाद यह घटना मैं भूल गई ठीक है बात आई गई हो गई। मार्च की बात है होली का समय बाहर जाने का मन बना लिया था क्योंकि वहां के लोग होली मैं कीचड़ पेंट और जितनी भी चीजें होती थी वह सब लेकर आते थे और होली खेलते थे इसलिए भी और जरूरी था कि वहां की होली ना मनाई जाए सोचा पचमढ़ी चलते हैं निकल पड़े पचमढ़ी के लिए ।
पचमढ़ी के पास पहुंचने के पहले चढ़ाई चढ़ने पड़ती है हमारी गाड़ी में पीछे कंडे मिट्टी का तेल यह रखा था कि अगर कुछ खाने को नहीं मिला तो कम से कम बाटी भरता बना लेंगे गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया ड्राइवर ने पत्थर लगाकर गाड़ी को रोका क्या देखते हैं कि पीछे से धुआं निकल रहा था यह क्या हो रहा है जैसे ही डिक्की खोली तो देखा बस आग लगने की पहले की प्रक्रिया शुरू थी जल्दी से सब सामान निकाला सब को अलग किया गोबर के कंडे को उठा उठा कर फेंका जो आधे से ज्यादा जल चुके थे जैसे तैसे जुगाड़ करके पचमढ़ी पहुंचे । रात का भोजन करने के बाद मैंने अपने पतिदेव से कहां कल सोमवार का दिन है मेरे सोलह सोमवार चल रहे हैं।
सवेरे जल्दी उठकर गुप्त महादेव में अभिषेक करके आएंगे रात को ही तैयारी कर ली और सवेरे सवेरे 5:30 बजे पैदल ही गुप्त महादेव के दर्शनार्थ हेतु निकल पड़े। बहुत सुंदर मनमोहक सुबह थी चारों ओर से औषधि वाली खुशबू आ रही थी नीचे की ओर नजर करके चल रहे थे तो देखा कि जैसे किसी ने वहां की रेतीली मिट्टी को प्लेन कर दिया हो और चिड़िया के पैरों के निशान से बड़े निशान बने थे देखना चालू हुए अंदाजा लगाया कि हो ना हो यह मोर के निशान है बात करते-करते अचानक मैंने कहा कहते हैं इस स्थान पर सुबह सुबह शेर आते है अगर शेर आ गया तो क्या होगा ? पतिदेव बोले होगा क्या अपन को कुछ करना नहीं पड़ेगा शेर ही करेगाअपन क्या करेंगे।!
ऐसा परिहास करते हुए पहुंचे पर जैसे ही गुप्त महादेव के द्वार पर पहुंचे तो देखा छोटी मधुमक्खियां लगी हुई है झट से मैंने साड़ी का पल्ला अपने मुंह पर लगाया इनसे कहा आप भी नीचे करते हुए रुमाल से मुंह ढक ले और हम वहां पहुंचे देखा तो पूजा नहीं हुई थी बहुत खुश हुए कि चलो आज पहली पूजा महादेव की करने को मिली है सब सामान लेकर बैठ गए पूजा करें मेरे पास संतरे थे देखा तो जल नहीं लेकर आए थे पंचामृत से अभिषेक किया परंतु जल की कमी महसूस हो रही थी इतने में एक आठ दस साल का बच्चा दौड़ता हुआ आया और बाल्टी को वहां रखा मैंने उसे बिना पूछे ही जल और सफेद फूल लिये महादेव जी को जल चढ़ाना चालू कर दिया।
उस बालक ने इनसे पूछा जानवर देखा था ?पतिदेव ने कहा कौन सा जानवर कोई जानवर नहीं देखा उस बालक ने कहा अरे वह तो आपके पीछे-पीछे चल रहा था। शेर था जो आपके पीछे चल रहा था मेरा सारा ध्यान उस बालक की इस बात गया कि शेर हम लोग के पीछे पीछे चल रहा था सहज विश्वास करना मुश्किल था मैंने उस बालक से पूछा की तुम शेर को देखकर डरे नहीं उसने कहा नहीं मैं तो रोज आता जाता हूं और अनेकों बार वह इसी स्थान से ही आता जाता है तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। मैंने फिर पूछा तुम्हें डर नहीं लगा उसको देख कर और तुम हम लोगों के पीछे क्यों आए? है कि हम लोग आगे शेर बीच में और सब से पीछे तुम शेर तो आगे भी आ सकता हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर थी।
फिर उसने जवाब दिया मैं यह भी देखना चाहता था आप लोग की हालत क्या होती है और लोगों को बताना भी तो पड़ता पर अच्छा हुआ आप लोग ने पीछे मुड़कर नहीं देखा नहीं तो बहुत मुश्किल हो जातीऔर जानवर आप लोग के साथ क्या करता इसलिए मैं पीछे पीछे आ गया यह सुनकर मुझे अटपटा लगा उस बालक ने अपनी जान जोखिम में डालकर यहां तक पहुंचा था। फिर उसने बोला कि आप लोग चलेंगे तो मैं भी आप लोग के साथ चलूंगा बोलना उसने कहा मै आप लोग के साथ साथ चलूंगा मैंने मन में सोचा यह बच्चा है डर गया होगा ।मैंने देखा कि उस बालक ने एक छोटी सी छड़ी हाथ में रखी और बोला चलिए मैं जानवर के पैर की निशान आप लोग को दिखाता हूं गुफा में प्रवेश करने के ठीक पहले शेर के पंजे के निशान बने थे फिर लगाता एक चीज में वह निशान हम लोगो को वह बालक दिखाता चल रहा था ।
मैं ओम नमः शिवाय का जाप कर रही थी और वह बालक रामचंद्र जी का जाप कर रहा था रास्ते में बताया कि मैं अपने रोज की पूजा के निमित्त यहां आता हूं पर आज मैं थोड़ा जल्दी निकला और मैंने आप लोगों को देखा पर इसके पहले एक मोड़ से शेर उतरकर आप लोगों के पीछे पीछे ही शेर चल रहा था विश्वास नहीं हुआ उसने बताया कि देखिए निशान और उस बालक ने यह भी बताया कि मैं कहां था और मैंने आप लोगों के पीछे उस शेर को चलते देखा तो मैं थोड़ा ठिठक गया था यह देखिए यहां मेरा पानी गिरा है देखा पानी के साथ-साथ सफेद रंग के छोटे-छोटे फूल भी उस स्थान पर गिरे थे। बालक ने एक ऊंची जगह पर खड़े होकर कहां कि अब आप लोग जा सकते हैं और मैं वापस जा रहा हूं मैंने कहा तुम्हें डर नहीं लगेगा बालक ने उत्तर दिया जिसका रोज आना जाना हो उसके लिए डर कैसा और यह डंडी है ना उसे भगा दूंगा ।
अकस्ममातअनायास मेरे दिमाग में विचार पहुंच गए हो ना हो यह तो भोलेनाथ जी का बाल रूप है झटपट मेरे पास जितना कुछ सामान था मैंने उनके हाथ में दिया उनको प्रणाम किया और वह अपनी छोटी सी लकड़ी को लेकर वापस उसी और थोड़ी देर में वहां ओझल हुए दिखाई नहीं दिए। इतने करीब भोलेनाथ जी के दर्शन हम लोगों ने किए और जब तक वह परिचय देते तब तक निकल चुके थे मेरी शंका का समाधान वह बाढ़ वाली घटना से जुड़ गया कैसे राम जी अपने भक्तों को बचाया था बांध को टूटने से बचाया था मेरे मन में जो शंका आई थी उसका समाधान हो गया की भगवान अपने भक्तों के लिए उनकी रक्षा के लिए किसी भी रूप में प्रगट होते हैं ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
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