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Friday, 11 March 2022

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को कितने दिनों तक कितनी संख्या में किया जाना चाहिए ताकि यह जागृत हो सके?

 


सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को कितने दिनों तक 
कितनी संख्या में किया जाना चाहिए 
ताकि यह जागृत हो सके?

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र यह स्तोत्र श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में शिव पार्वती संवाद के नाम से उदधृत है. श्रीदुर्गा सप्तशती में सिद्धकुंजिका स्तोत्र है, और ज्यादा प्रभावशाली भी है. मात्र कुंजिका स्तोत्र के पाठ से सप्तशती के सम्पूर्ण पाठ का फल मिल जाता है. इसके मंत्र स्वतः सिद्ध किये हुए हैं, अतः इनको अलग से सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है. यह अद्भुत स्तोत्र है, जिसका प्रभाव बहुत चमत्कारी है. इसके नियमित रूप से पाठ से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है. नाम के अनुरूप यह सिद्ध कुंजिका है। जब किसी प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा हो, समस्या का समाधान नहीं हो रहा हो, तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करिए। भगवती आपकी रक्षा करेंगी। भगवान शंकर कहते हैं कि सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करने वाले को देवी कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और यहां तक कि अर्चन भी आवश्यक नहीं है। केवल कुंजिका के पाठ मात्र से दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है। इसके पाठ मात्र से मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन और उच्चाटन आदि उद्देश्यों की एक साथ पूर्ति हो जाती है। इसमें स्वर व्यंजन की ध्वनि है। योग और प्राणायाम है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को अत्यंत सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए।

पाठ:
1. विद्या प्राप्ति के लिए....5 पाठ (अक्षत लेकर अपने ऊपर से तीन बार घुमाकर किताबों में रख दें)
2. यश-कीर्ति के लिए....5 पाठ (देवी को चढ़ाया हुआ लाल पुष्प लेकर सेफ आदि में रख लें)
3. धन प्राप्ति के लिए....9 पाठ (सफेद तिल से अग्यारी करें)
4. मुकदमे से मुक्ति के लिए...7 पाठ (पाठ के बाद एक नींबू काट दें। दो ही हिस्से हों ध्यान रखें। इनको बाहर अलग-अलग दिशा में फेंक दें)
5. ऋण मुक्ति के लिए....7 पाठ ( जौ की 21 आहुतियां देते हुए अग्यारी करें। जिसको पैसा देना हो या जिससे लेना हो, उसका बस ध्यान कर लें)
6. घर की सुख-शांति के लिए...3 पाठ (मीठा पान देवी को अर्पण करें)
7. स्वास्थ्यके लिए...3 पाठ (देवी को नींबू चढाएं और फिर उसका प्रयोग कर लें)
8. शत्रु से रक्षा के लिए... 3, 7 या 11 पाठ (लगातार पाठ करने से मुक्ति मिलेगी)
9. रोजगार के लिए...3,5, 7 और 11 (एच्छिक) ( एक सुपारी देवी को चढाकर अपने पास रख लें)
10. सर्वबाधा शांति- 3 पाठ (लौंग के तीन जोड़े अग्यारी पर चढ़ाएँ या देवी जी के आगे तीन जोड़े लौंग के रखकर फिर उठा लें और खाने या चाय में प्रयोग कर लें)

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