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Friday, 17 September 2021

#त्रिपुर सुंदरी मंदिर,भेड़ाघाट



 #त्रिपुर सुंदरी मंदिर,भेड़ाघाट

जहां ये तीनों देवियां विद्यमान हैं लेकिन भक्तों को इनके सिर्फ मुख मंडल के ही दर्शन होते हैं, बाकी धड़ जमीन के भीतर है, जो किसी को दिखाई नहीं देता है, इनका धड़ कैसा है, कितना बड़ा है ये कोई नहीं जानता।


महालक्ष्मी, महासरस्वती और महागौरी जब एक साथ आती हैं तो #त्रिपुर #सुंदरी कहलाती हैं। संस्कारधानी जबलपुर में एक ऐसा ही प्राचीन मंदिर है, जहां ये तीनों देवियां विद्यमान हैं लेकिन भक्तों को इनके सिर्फ मुख मंडल के ही दर्शन होते हैं, बाकी धड़ जमीन के भीतर है, जो किसी को दिखाई नहीं देता है। इनका धड़ कैसा है, कितना बड़ा है ये कोई नहीं जानता। पुरातत्व विभाग के लिए भी यह प्रतिमा रहस्य बनी हुई है।


त्रिपुर सुंदरी मंदिर जबलपुर से करीब 13 किमी दूर तेवर गांव में भेड़ाघाट रोड पर स्थित है। जबलपुर का प्रमुख आकर्षण होने के अलावा इस मंदिर को काफी पवित्र माना जाता है और यह धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र है। कहा जाता है कि इसका निर्माण राजा कर्ण ने करवाया था। यहां पर एक शिलालेख मौजूद है। जिसके आधार पर इस बात की पुष्टि होती है। 11वीं शताब्दी में बने इस मंदिर के बारे में कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं वहीं इसके स्वयं-भू होने के सम्बन्ध में भी कई तरह की खोज की जा चुकी है।


मंदिर में स्थापित मूर्ति के संबंध में कहा जाता है कि 1985 के पूर्व इस स्थान पर एक किला विद्यमान था जिसके अंदर यह प्राचीन मूर्ति थी। वहां पास में ही एक गड़रिया रहता था जो मूर्ति के पास ही अपनी बकरियों को बांधा करता था। मूर्ति का मुख पश्चिम दिशा की ओर था। बाद में धीरे-धीरे यहां कुछ अन्य विद्वानों का आना हुआ और मंदिर का विकास कार्य किया गया। अब भी इस स्थान पर मंदिर के ही समीप उस गड़रिया की झोपड़ी है। मंदिर में स्थापित मूर्ति का अति महत्व है। यहां स्थापित शिलालेख में ही त्रिपुर सुंदरी भी लिखा हुआ था। 1990 के बाद मंदिर के विकास ने तेजी पकड़ी और अब हजारों की संख्या में यहां लोगों का आना होता है।


देवी के तीन रूप त्रिपुर का शाब्दिक अर्थ होता है ‘तीन शहर’ और सुंदरी का अर्थ होता है ‘खूबसूरत महिला’। ऐसे में इस मंदिर का अर्थ निकाला गया- तीन शहरों की खूबसूरत देवियां। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि शक्ति के सिद्धांत में देवी के जो तीन रूप पाए जाते हैं, वही सही व्याख्या है और इसमें देवी की शक्ति और सामर्थ को प्रतीक के तौर पर लिया गया है। पूरे साल यहां हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। खासकर नवरात्र दुर्गा पूजा या दशहरा उत्सव के दौरान यहां भारी भीड़ उमड़ती है। संतों और धार्मिक गुरुओं में त्रिपुर सुंदरी मंदिर विशेष स्थान रखता है।

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