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Thursday, 1 July 2021

कैसे हुई माँ दुर्गा की उत्पत्ति, किस भगवन ने दिया कौन सा शस्त्र? Durga Janam Katha

 


कैसे हुई माँ दुर्गा की उत्पत्ति, किस भगवन ने दिया कौन सा शस्त्र? Durga Janam Katha ||

 नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा होती है और ये देवियां शक्ति का ही रूप हैं। देवी दुर्गा के अंश के रूप में इन देवियों की पूजा होती है, लेकिन देवी दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई, इसके बारे में बहुत ही कम जानकारी लोगों को है। असल में देवी दुर्गा शक्ति का स्वरूप किसी विशेष कारण से बनीं। देवी दुर्गा में अपार शक्ति कहां से आई? या उन्हें प्रभावी अस्त्र कैसे और किससे मिले?  इसके बारे में पुराणों में बताया गया है। तो आइए नवरात्रि के अवसर पर आपको देवी के जन्म के बारे में बताएं।

 देवगण की शक्ति से बना देवी का सभी अंग


देव गणों की शक्ति से देवी की उत्पत्ति हुई, लेकिन देवी के शरीर का अंग प्रत्येक देव की शक्ति का अंश से हुआ है। जैसे भगवान शिव के तेज से माता का मुख बना, श्रीहरि विष्णु के तेज से भुजाएं, ब्रह्मा जी के तेज से माता के दोनों चरण बनें। वहीं, यमराज के तेज से मस्तक और केश, चंद्रमा के तेज से स्तन, इंद्र के तेज से कमर, वरुण के तेज से जांघें, पृथ्वी के तेज से नितंब, सूर्य के तेज से दोनों पौरों की अंगुलियां, प्रजापति के तेज से सारे दांत, अग्नि के तेज से दोनों नेत्र, संध्या के तेज से भौंहें, वायु के तेज से कान तथा अन्य देवताओं के तेज से देवी के भिन्न-भिन्न अंग बने।

आदिशक्ति को दिए देवगण ने अपने अस्त्र


देवी का जन्म तो हो गया, लेकिन असुरों के अंत के लिए अभी भी अपार शक्ति की जरूरत थी। तब भगवान शिव ने उनको अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, हनुमान जी ने गदा, श्रीराम ने धनुष, अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, वरुण ने दिव्य शंख, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, लक्ष्मीजी ने कमल का फूल, इंद्र ने वज्र, शेषनाग ने मणियों से सुशोभित नाग, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने माता उनका वाहन सिंह दिया। इन सभी अस्त्र-शस्त्र को देवी दुर्गा ने अपनी 18 भुजाओं में धारण किया।

और ऐसे बना देवी का विराट रूप


अस्त्र-शस्त्र और आंतरिक शक्ति से देवी का विराट रूप बन गया और असुर उन्हें देख कर ही भयभीत होने लगे। देवी के पास सभी देवताओं की शक्तियां हैं। उनके जैसा कोई दूसरा शक्तिशाली नहीं है, उनमें अपार शक्ति है, उन शक्तियों का कोई अंत नहीं है, इसलिए वे आदिशक्ति कहलाती हैं।

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