🍃काली शतनाम स्तोत्रम् ।।🍃
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काली शतनाम स्तोत्र का पाठ करने वाला भूमंडल के सभी पदार्थों को प्राप्त कर लेता है । कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को जब मंगलवार हो तब इसका सौ बार पाठ करने से मनुष्य शास्त्रज्ञ होता है । ऐसे मनुष्य को आणिमादि सिद्धियों की लब्धि होती है । यदि कोई बिल्ववृक्ष या पीपल वृक्ष की जड में बैठकर रात्रि के समय इस स्तोत्र का सौ बार पाठ करे तो काली की कृपा से मंत्रसिद्धि होती है । ऐसा शिवकथन है ।
शिवोवाच
ॐ करालवदना कालीं कामिनी कमलालया ।
क्रियावती कोटराक्षी कामाक्षा कामसुन्दरी ॥
कपोला च कराला च काशी कात्यायनी कुहूः ।
कङ्काली कालदमनी करुणा कमलार्चिता ॥
कादम्बरी कालहरा कौतुकी कारणप्रिया ।
कृष्णा कृष्णाप्रिया कृष्णपूजिता कृष्णवल्लभा ॥
कृष्णाऽपराजिता कृष्णप्रिया च क्रुष्णरूपिणी ।
कालिका कालरात्रिश्च कुलजा कुलपण्डिता ॥
कुलधर्मप्रिया कामा काम्यकर्म विभूषिता ।
कुलप्रिया कुलरता कुलीन परिपूजिता ॥
कुलज्ञा कमला पूज्या कैलाश नगभूषिता ।
कुटजा केशिनी कामा कामदा कामपण्डिता ॥
करालास्या च कन्दर्पकामिनी कामशोभिता ।
केलिप्रिया केलिरता केलिनी केलिभूषिता ॥
केशवस्य प्रिया केशा काश्मीरा केशवार्चिता ।
कमेश्वरी कामरूपा कामदान विभूषिता ॥
कामहंत्री कूर्ममांसप्रिया कूर्मादि पूजिता ।
केलिनी करकी कारा करकूर्म निषेविनी ॥
कटकेशर मध्यस्था कटकी कटकार्चिता ।
कटप्रिया कटरता कटकूर्म्म निषेविनी ॥
कुमारी पूजनरता कुमारी जनसेविता ।
कुलाचार प्रिया कौलप्रिया कुलनिषेविनी ॥
कुलीना कुलधर्मज्ञा कुलभीति विमर्दिनी ।
कामधर्मप्रिया कामा नित्याकाम स्वरूपिणी ॥
कामरूपा कामहरा काममन्दिर पूजिता ।
कामागारस्वरूपा च कामाख्या कामभूषिता ॥
क्रियाभक्तिरता कामा काञ्चिनी चैव कामदा ।
कोलपुष्पाम्बरा कोला निष्कोला कलहान्तिका ॥
कौशिकी केतिकी कुम्भी कुन्तिला दिविभूषिता । सिध्यन्ति भूतलब्रह्माविष्णुश्च रुद्रश्च वासवाद्या दिवौकराः ।
सहस्त्रपठनाद्देवि सर्वे च विगतज्।
प्रपठेत् कालिकास्तोत्रं यथाभक्त्या महेश्वरी ॥
शतवार प्रपण्नान्मंत्रसिद्धिं भवेद् ध्रुवम्
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