@@@@वैष्णव सदाचार@@@@
****तिलक****
ऐसा कहा जाता है कि तिलक लगाते समय यदि भक्त दर्पण अथवा पानी मे अपना प्रतिबिम्ब ध्यानपूर्वक देखता है तो वह भगवान के धाम को जाता है
तिलक लगाना इस बात का प्रतिक है की आप सनातनी है और वैस्णव तिलक लगाना कृष्ण भक्ति का प्रतीक है
जिस प्रकार स्त्री अपने स्वामी की प्रसन्नता के लिये श्रृँगार करती है उसी प्रकार वैष्णव अपने स्वामी(श्री कृष्ण)की प्रसन्नता के लिये श्रृन्गार करता है जिसमे तिलक मुख्य है
तिलक अनेक प्रकार के होते है
चार मुख्य सम्प्रदायो के अपने अपने तिलक होते है जो जिस सम्प्रदाय से दीक्षित हो वे उसका तिलक धारण करे अथवा जो दीक्षित ना हो वे श्री चैतन्य महाप्रभु को गुरू मान कर उनका तिलक धारण करे
तिलक लगाने के लिये
सिन्दूर,सफेद चन्दन,पीला चन्दन,लाल चन्दन,गोपी चन्दन और शिव भक्त सम्प्रदाय के भक्त भस्म का तिदक धारण करते है
कृष्ण भक्त वैष्णवो के लिये सबसे उत्तम तिलक है गोपी चन्दन का इसलिये गोपी चन्दन का तिलक धारण करे..
-अपने हाथ मे गोपी चन्दन घिसते समय नीचे ना गिराएँ यदि वहनीचे गिर जाय तो तुरन्त साफ करे क्यूँकि गोपी चन्दन अत्यन्त मूल्यवान है यह साधारण चन्दन नही है कृष्ण भक्ति का आशिर्वाद है
-बाएँ हाथ मे तिलक बनाते हुए एवं मस्तक पर लगाते समय नामोच्चारण करेँ
तिलक लगाने मे जो शर्म महसूस करे वह कभी वैष्णव बनने योग्य नही हो सकता तिलक लगा कर मन एवं आत्मा मे शान्ति और भक्ति और गर्व हुआ अनुभव जो करे वही वैष्णव है⚡
जय श्री हरि
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