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Sunday, 24 January 2021

बटुक भैरव साधना एक दुर्लभ साधना*

 


🚩🔱🔯🕉️🔥📿 *बटुक भैरव साधना एक दुर्लभ साधना*


                  कलयुग में बटुक भैरव साधना बहुत ही शीघ्र फलदायी माना गया है..

कहते है जीवन मे सफलता के लिए यह आवयश्क है कि हम मानसिक रूप से स्वस्थ हो 

ओर किसी प्रकार का टेंशन या तनाव हमारे मन मे नही हो परन्तु आज कल जिस तरह की भाग दौड़ की दुनिया है जिसमे हर  समय सभी को कुछ ना कुछ परेशानी लगी रहती है

जिससे हम जीवन मे आगे नही बढ़ पाते है....

ऐसी स्तिथि में आज के समय मे बटुक भैरव साधना साधको ओर गृहस्तो के लिए अमृत समान है !

जीवन मे किसी भी प्रकार की परेशानी हो

चाहे मुकदमा चल रहा हो...शत्रु परेशान कर रहे हो....पति पत्नी में मतभेद हो....व्यपार में बाधाये आ रही हो

     नोकरी में प्रमोशन नही हो पा रहा हो या अधिकारियों से मदभेद हो, योग्यता अनुसार पद,या सही स्थान पे स्थानांतरण नही हो पा रहा है...

या घर मे कोई ना कोई बीमार रहता हो

किसी प्रकार की आर्थिक समस्या हो या कोई अधूरी इच्छा....

इस तरह की कोई भी समस्या हो जीवन मे तो एक बार बटुक भैरव प्रयोग अवश्य करना चाहिए 

इस साधना को कोई भी स्त्री-पुरुष सामान्य व्यक्ति किसी भी जाति धर्म का कर सकता है...

इस को करने से किसी प्रकार की बाधा या समस्या नही आती है,


क्योकि यह एक तरह से सौम्य साधना है....ओर कोई भी गृहस्थ इस साधना को कर सकता है


तरीका ...

इस साधना को कभी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू किया जा सकता है....

इस बात का विशेष ध्यान रखे....


पूजन सामग्री:-

एक किलो चावल

एक मीटर लाल वस्त्र

लकड़ी का एक तख्त या बाजोट

थोड़ा सा गंधक

तांबे का एक लोटा 

ओर एक नारियल


प्रयोग विधि:-

साधक इस प्रयोग को अपने घर या किसी अन्य स्थान पे रख सकता है......

तो सबसे पहले जहा पे साधना करनी है वह लकड़ी का तख्त बिछा कर उस पर लाल वस्त्र बिछा दे.....

अब उस लाल वस्त्र के चारो कोनो पे चावल की चार ढेरियां बना दे ....


ओर एक ढेरी बीच मे बना दे ....

अब बीच वाले ढेरी पे सरसो तेल का दीपक जला दें ....

ओर उसके आगे मतलब दीपक के आगे लाल वस्त्र छोटा सा बीछा के उसपे गंधक के पांच टुकड़े कर एक लाइन से रख दे ......

ओर दीपक के पीछे तांबे का लोटा जल भर के रख दे और उसपे नारियल स्थापित कर दे ,

गंधक के पास बटुक भैरव यंत्र को स्थापित कर दे ,

अब किसी भी शुक्लपक्ष के प्रथम मंगलवार को यह कार्य साधक संम्पन कर ....

आसान पे बैठ जाये....

साधक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए.....

  साधक को बैठने का आसान लाल रंग का होना चाहिए...

साधक सिर्फ धोती पहन कर साधना करें

मंगल वार के सुबह में 6 से 9 बजे तक यह प्रयोग हो जाना चाहिए ....

साधना मात्र 7 दिन की है...

नित्य  बटुक भैरव मंत्र की 51 माला जाप....

मंत्र सिद्ध प्राण-प्रतिष्ठा युक्त माला मूंगा की आवश्यक है 


अब दाहिने हाथ मे जल ले के संकल्प करें...


ॐ ह्रीं बटुकाय श्रीं आपत्ति उद्धारय भैरव देवता प्रीतये मम अमुक कार्य सिद्धयर्थम् बटुक भैरव प्रयोग अहम करिष्ये


ऐसा बोल के जल भूमि पे छोर दे (ध्यान दे अमुक के जगह जिस मनोकामना हेतु यह प्रयोग कर रहे हो उसको बोले)


अब पुनः हाथ मे जल ले और बोले

विनियोग करें..


ॐ अस्य श्री आपत्ति उद्धारक भैरव मंत्रस्य

 ब्रहदारण्य ऋषि, अनुष्टुप छन्द,  

श्री भैरव देवता, ह्वीम बीजम, 

श्रीम् शक्ति, क्लीम् कीलकम्,

श्री आपत्ति उद्धारक भैरव प्रीतये जपे विनियोग


ऐसा कह कर हाथ के लिया जल छोड़ दे !


इसके बाद हाथ जोड़ के बटुक भैरव का ध्यान करे....


त्रिनेत्रम् रक्त र्वणम् च वरदाभयहस्तकम्

सव्ये त्रिशूलमभयम् कपालं वरमेव च

रक्त वस्त्र परिधानम् रक्तमाल्यानुलेपनम्

निलग्रीवम् च सौम्यम् च सर्वा  भरण भूषितम्


इसके बाद दीपक लगाकर भैरव यंत्र के सामने हाथ मे जल लेकर अपनी समस्या या कामनाओं का उल्लेख करे....


की साधना समाप्त होते होते मेरे कार्य सिद्ध ओर सम्पन्न हो जाये ,

इसके बाद भैरव यंत्र के सामने दुध का थोड़ा सा प्रसाद भोग लगावे ओर उनका पंचोपचार पूजन करें

लाल रंग के पुष्प समर्पित करे,


ओर निम्न मंत्रो की 51 माला जाप करे !


मूलमंत्र --- 


'ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ..!!"


जब 51 माला पूरी हो जाये तो आसन से उठे और भैरव यंत्र को जो भोग लगाया हुआ है....


वह भोग कुत्ते को खिला दे ....


यह नियमित आपको नित्य 7 दिन तक करनी है!


इस प्रकार सात दिन जब पूरे हो जाये तो आठवे दिन पुनः मंगलवार ही  होगा !

तब गुरु पूजन कर इस मंत्र की एक माला फेरे ओर भगवान बटुक भैरव से प्राथना करे कि जिस अभीष्ट मनोकामना पूर्ति हेतु हमने यह प्रयोग किया है ओर दशांश होम तर्पण मार्जन करे 


वो शीघ्र ही आपकी कृपा से पूर्ण हो 

इसके बाद किसी एक बालक को अपने घर मे भोजन करवाये , नये वस्त्र दें 

तो इस तरह आपकी साधना पूर्ण हुई मानी जायेगी

ओर विश्वास मानिए अगर पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भावना से आपने यह साधना पूर्ण कर ली तो ....

तो आपकी मनोकामना पूर्ण ना हो ऐसा हो ही नही सकता है !


साधना समाप्त होने पे लकड़ी के तख्ते पे बिछे हुए चावल..नारियल ...लोटा ओर वह कपरा किसी गरीब ब्राह्मण को दान कर दे !


जो गंधक के पाँच टुकड़े रखे थे उसे दक्षिण दिशा की तरफ जाकर किसी सुनसान स्थान पे गड्ढे खोद कर उसमें डाल दे !


ओर भैरव यंत्र को आपके घर मे रखे ....

इस तरह इतना करना से आपकी साधना पूर्ण मानी जायेगी.....!!

*ॐ शिव गोरक्ष योगी आदेश जय गिरनारी आदेश*🚩🔱🔥📿

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