1. सर्वकल्याण के लिए-
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
2. आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए-
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥
3. बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए-
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः। मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
4. सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति के लिए-
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्ग संसारसागस्य कुलोद्भावाम्।।
5. दरिद्रता नाश के लिए-
दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेशजन्तो: स्वस्थैं: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।।
6. शत्रु नाश के लिए-
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टारनां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।
7. सर्वविघ्ननाशक मंत्र-
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी। एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्॥
8. ऐश्वर्य प्राप्ति एवं भय मुक्ति मंत्र-
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः। शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
9. विपत्तिनाशक मंत्र-
शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे। सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
कोई भी एक उपाय करें मां होंगी प्रसन्न...
1. जीवन में कोई परेशानी चल रही हो, तो दुर्गा बीज मंत्र का जाप करें जो इस प्रकार है – “ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै नम:”
इस मंत्र का रोजाना एक माला यानि 108 बार जाप करना फलदायी सिद्ध होता है।
2. मां दुर्गा का जाप करते समय उन्हें ‘जपापुष्प’ का फूल अर्पित करें। ऐसा करने से देवी प्रसन्न होती हैं।
3. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए चंडी पाठ या फिर दुर्गा सप्तशती पाठ का बेहद महत्व बताया जाता है। यह दोनों ही पाठ यदि कोई नियमानुसार पढ़ ले तो उस पर मां दुर्गा की अपार कृपा होती है।
4. गरीब बच्चियों को खुश किया जाए, उन्हें भोजन-कपड़े इत्यादि दान किए जाएं तो ऐसा करने से देवी प्रसन्न होती हैं।
5. गरीबों बच्चों के अलावा भूखे-प्यासे जानवरों की मदद करने से भी मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। किसी जानवर या पक्षी, किसी की भी सेवा करने से देवी आप पर अपार कृपा करेंगीं।
6. मां दुर्गा का एक ऐसा भक्त जो छल, कपट, लोभ से दूर है, देवी उसके ऊपर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं।
7. मासिक दुर्गाष्टमी या फिर नवरात्रि का उपवास करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। इस व्रत को करने की विधि एवं नियम भी कठिन नहीं होते। यदि सच्चे मन से किया जाए तो व्रत सफल होता है और देवी प्रसन्न होकर मनोकामना पूर्ण करती हैं।
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