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Monday, 19 October 2020

श्री बगलामुखी चालीसा



 ....... सभी दुखों का निदान मां बगलामुखी चालीसा .....


-----------------  श्री बगलामुखी चालीसा  --------------------


नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल |

स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ||

नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी | 


१| भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी |


२ | अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा |


३ | स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना |


४ | स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे |


५ | तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला |


६ | भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई |


७ | तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा |


८ | तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी |


९ | छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी |१० |

सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे |


११ | दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन |


१२ | दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता |


१३ | साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता 


१४ | मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी |


१५ | तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी |


१६ | अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुध्दि नाशकर कीलक तन को |


१७ | हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके |


१८ |चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे |


१९ | अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे |


२० |मूठ आदि अभिचारण संकट . राजभीति आपत्ति सन्निकट |


२१ | ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे 


२२ | सुमरित राजव्दार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे |


२३ | नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर |


२४ | सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी 


२५ | स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक |


२६ | तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें |


२७ |शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता |

२८ | यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता | 


२९ | पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी |


३०| जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई |


३१ | आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो |


३२ | पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी |


३३ | मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया |


३४ | जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा |


३५ | नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता |


३६ | सोम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता |


३७ | रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो |


३८| नमो महाविधा आगारा,आदि शक्ति सुन्दरी आपारा |


३९ | अरि भंजक विपत्ति की त्राता , दया करो पीताम्बरी माता | 


४० | रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं , अरि समूल कुल काल |

मेरी सब बाधा हरो , माँ बगले तत्काल ||

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