ब्रह्म कमल, इसे स्वयं सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का पुष्प माना जाता है। हिमालय की ऊंचाइयों पर मिलने वाला यह पुष्प अपना पौराणिक महत्व भी रखता है। इस फूल के विषय में यह माना जाता है कि मनुष्य की इच्छाओं को पूर्ण करता है। यह कमल सफेद रंग का होता है जो देखने में वाकई आकर्षक है, इसका उल्लेख कई पौराणिक कहानियों में भी मिलता है।
पौराणिक मान्यताएं
ब्रह्म कमल से जुड़ी बहुत सी पौराणिक मान्यताएं हैं, जिनमें से एक के अनुसार जिस कमल पर सृष्टि के रचयिता स्वयं ब्रह्मा विराजमान हैं वही ब्रह्म कमल है, इसी में से कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी।
सुनहरा कमल
दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार जब पांडव जंगल में वनवास पर थे, तब द्रौपदी भी उनके साथ गई थी। द्रौपदी, कौरवों द्वारा हुए अपने अपमान को भूल नहीं पा रही थी, साथ ही वन की यातनाएं भी मानसिक कष्ट प्रदान कर रही थी।
द्रौपदी
लेकिन जब उन्होंने पानी की लहर में बहते हुए सुनहरे कमल को देखा तो उनके सभी दर्द एक अलग ही खुशी में बदल गए, उन्हें अलग सी आध्यात्मिक ऊर्जा का अहसास हुआ। द्रौपदी ने अपने सबसे अधिक समर्पित पति दुर्योधन को उस सुनहरे फूल की खोज के लिए भेजा, इसी खोज के दौरान भीम की मुलाकात हनुमान जी से हुई थी।
इच्छा पूर्ति वाला कमल
इस कमल से संबंधित एक बहुत प्रचलित मान्यता कहती है कि जो भी व्यक्ति इस फूल को देख लेता है, उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है। इसे खिलते हुए देखना भी आसान नहीं है क्योंकि यह देर रात में खिलता है और केवल कुछ ही घंटों तक रहता है। यह फूल 14 साल में एक बार ही खिलता है, जिस कारण इसके दर्शन अत्यंत दुर्लभ है।
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