पूर्व की ओर मुख ।
रुद्राक्ष की माला।
ब्रह्मचर्य का व्रत धारण करना क्योंकि इस साधना में साधक खुद ही द्रवित होता है उससे बचने के लिए माता के चरणों का ध्यान करें।
और माता के चरणों में ध्यान रखना।
आपको सिद्धि दिलवाएगा ।
जब तक यह साधना करें इस साधना के विषय में किसी को भी कुछ ना बताएं ।
सिर्फ गुरु आज्ञा से ही यह साधना करें।
इसकी देवी रुष्ट होने पर साधक के प्राण तक ले लेती है। इसलिए बिना गुरु की आज्ञा के या बिना गुरु के अनुमति के इस साधना को ना करें।
प्रतिदिन पहले डीह, फिर काली माई ,फिर आकाश कामनी, के निमित्त आपको प्रतिदिन सुबह-शाम अर्घ देना है।
**।।आकाश कामिनी का मंत्र।।**
ॐ नमो कंस के हाथ से छूट भवानी।।जा आकाश विराजे,
दसों दिशा को बांध भवानी।।नमो आकाश कामिनी,
अष्टभुजी तेरा स्वरूप ।।सरर से आये सट्ट से जाये,
देश-विदेश की खबर बताये।भगत जनों के काज बनाये
ना आये माता तो सातों डाली शीलता की आन,
माता बिंध्याचलवासिनी माता काली की आन,
लोना चमारी की विद्या फुरै छू। कनक कामिनी फूलों का हार,आकाश कामिनी करे शिंगार। तन मोहे मन मोह मोहे सारा देश,सात जात की विद्या मोहे। सभ जन को ना मोहे आकाश कामिनी तो दुहाई माता काली की चौसठ योगिनीयों की आन,लोना चमारी की विद्या फुरै छू।
ॐ नमो कंस के हाथ से छूट भवानी।।जा आकाश विराजे,
दसों दिशा को बांध भवानी।।नमो आकाश कामिनी,
अष्टभुजी तेरा स्वरूप ।।सरर से आये सट्ट से जाये,
देश-विदेश की खबर बताये।भगत जनों के काज बनाये
ना आये माता तो सातों डाली शीलता की आन,
माता बिंध्याचलवासिनी माता काली की आन,
लोना चमारी की विद्या फुरै छू। कनक कामिनी फूलों का हार,आकाश कामिनी करे शिंगार। तन मोहे मन मोह मोहे सारा देश,सात जात की विद्या मोहे। सभ जन को ना मोहे आकाश कामिनी तो दुहाई माता काली की चौसठ योगिनीयों की आन,लोना चमारी की विद्या फुरै छू।
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