ऐसा ही एक मंदिर उत्तरप्रदेश के आगरा के पास एक गांव में स्थित है। इस गांव का नाम है सलेमाबाद। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर प्राचीनता के साथ ही एक सर्प के कारण भी प्रसिद्ध है। यहां पिछले 15 वर्षों से रोज एक सांप आता है और भगवान शिव की पूजा करता है।
सांप का इस तरह आना और रोज पूजा करना लोगों के लिए आश्चर्य का विषय है। माना जाता है कि सांप हर रोज मंदिर में आता है और करीब 5 घंटे तक यहां रुकता है।
नाग सुबह 10 बजे यहां आता है। वह यहां 3 बजे तक पूजा करता है और फिर चला जाता है। पूजा के दौरान वह शिवलिंग के पास बैठा रहता है। 15 साल पहले जब इस सांप ने यहां आना शुरू किया तो लोगों के लिए यह बहुत आश्चर्य की घटना थी लेकिन अब यह उनके गांव की पहचान बन चुकी है।

यह मंदिर सांप की वजह से जाना जाता है। ग्रामीणों के मुताबिक, आज तक इस सांप ने किसी श्रद्धालु को नुकसान नहीं पहुंचाया। वहीं, ग्रामीण भी उसकी सुविधा का पूरा ध्यान रखते हैं।

नाग के मंदिर में आते ही द्वार बंद कर दिए जाते हैं। इस अवधि में किसी और का दर्शन करना वर्जित होता हैै। 3 बजने पर द्वार खोला जाता है और सांप वहां से चला जाता है। इसके बाद मंदिर के द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। यहां के लोग इस सांप को समर्पित शिवभक्त मानते हैं।
सांप का इस तरह आना और रोज पूजा करना लोगों के लिए आश्चर्य का विषय है। माना जाता है कि सांप हर रोज मंदिर में आता है और करीब 5 घंटे तक यहां रुकता है।
नाग सुबह 10 बजे यहां आता है। वह यहां 3 बजे तक पूजा करता है और फिर चला जाता है। पूजा के दौरान वह शिवलिंग के पास बैठा रहता है। 15 साल पहले जब इस सांप ने यहां आना शुरू किया तो लोगों के लिए यह बहुत आश्चर्य की घटना थी लेकिन अब यह उनके गांव की पहचान बन चुकी है।

यह मंदिर सांप की वजह से जाना जाता है। ग्रामीणों के मुताबिक, आज तक इस सांप ने किसी श्रद्धालु को नुकसान नहीं पहुंचाया। वहीं, ग्रामीण भी उसकी सुविधा का पूरा ध्यान रखते हैं।

नाग के मंदिर में आते ही द्वार बंद कर दिए जाते हैं। इस अवधि में किसी और का दर्शन करना वर्जित होता हैै। 3 बजने पर द्वार खोला जाता है और सांप वहां से चला जाता है। इसके बाद मंदिर के द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। यहां के लोग इस सांप को समर्पित शिवभक्त मानते हैं।
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