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Sunday, 10 May 2020

अघोरी वीर साधना अनुभव । Aghori Vir Sadhana



अघोरी वीर साधना अनुभव

सभी तंत्र जिज्ञासु जनों को मेरा प्रणाम।
ये साधना मैंने खुद की हुई है वैसे तो कई साधनाये मैंने की लेकिन ये साधना का अनुभव अद्भुत रहा है सभी साधनाओं में ये मेरे को सबसे ज्यादा ताकतवर साधना लगी। पिछले साल ये साधना मैंने एक पुस्तक से प्राप्त की लेकिन उसे देखकर ही में समझ गया वो मन्त्र अधूरा था और फिर मैं ने आपने गुरु जी से बात की उन्होने मुझे बताया तो मैं हैरान हुआ । उसमें गुरु जी ने पल्लव जोड़ दिया एवं मुझे गुरुदेव ने साधना करने को बोला मैंने वो साधना शुरू कर दी एव मुझे 2सरे ही दिन से अपनी साथ कुछ होने का अनुभव हुआ जब मैं वो जाप करता था तो एक बूढ़ा साधु जो कि हाथ में तिरशूल एव एक कंधे पर एक गंदा सा थेला टांग कर रखता था अक्सर जप करते हुए मुझे दिखाई देता था।
ये क्रम और आगे बढ़ रहा था कि अचानक रात्रि को सोते समय डरावने सपने आने लगे उसमें एक नही कई बुड्ढे साधुओं ने मेरा जिन हराम कर दिया था लगातार वही बात हो रही थी यह साधना छोड़कर भाग जाओ छोड़ दो इसे लेकिन मेरे गुरु जी ने मुझे कहा था कि यह साधना बहुत उग्र है।इसे बीच में मत छोड़ना वरना अंजाम ठीक नहीं होगा। इस लिए मैं इस साधना को लगातार करता गया। एक दिन तो हद ही हो गयी सामग्री खरीदने के लिए 5 रुपए भी नही बचे थे मेरे फ़ोन का रिचार्ज भी खत्म जेब में पैसा नही और बाइक में पेट्रोल भी खत्म मुझे हाथो हाथ कुछ नही सूझ रहा था । ऐसा लग रहा था कि आज मेरी साधना खंडित होकर रहेगी अचानक मेरा बेटा खेलने के लिए गली के बच्चों के साथ कुछ खेलते खेलते भागते हुए मेरे पास आया पांच सौ रुपये का नोट पकड़ा कर बोला पापा जी ये पैसे आप के कोई दोस्त देकर गए हैं और बोले कि अपना काम पूरा करो ये साधना मैंने 21 दिनों की की थी उस दिन साधना का 19 व दिन था मैं हैरान हो गया था कि किसी को भी पता नही था इस साधना का फिर पैसे………..!
खैर मैंने वो पैसे से सामग्री ले ली और साधना सम्पनता की तरफ भड़ने लगा कि अचानक अंतिम दिन एक तांत्रिक बाबा जो मेरे दोस्त के जान कर थे आ गए और मेरे पास टिक गए और जाने का नाम नही ले रहे थे और में इस सोच में पड़ा हुआ था कि यह बाबा जाए तो मैं अपना पाठ शुरू करूँ।
अचानक उस बाबा का कोई चेला उन्हें ढूंढता हुआ आ गया और उसके बाद वो उनको अपने घर ले गया तो मैंने अपना पाठ किया।
वो परीक्षा की रात थी ये जो अघोरी की किर्या थी वो में रोज़ रात्रि को करता था और पाठ के बाद समान लेकर जाता था उसमें बकरे के कलेजी होती थी उसे मुझसे नज़र बचा कर कुत्ता लिजा रहा था लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी कि एक अनजान काले रंग का भयंकर रूप धारण किये हुए एक दूसरा कुत्ता उसको झपटा फिर क्या था कुत्ते ने अभी पॉलीथीन फाड़ा नही था ये देखकर मेरी जान में जान आयी और उस अनुष्ठान को संम्पूर्ण किया।
ये अनुभव मैंने आपसे इस लिए सांझा किया है कि अगर इंसान सच्चे मन से संकल्प कर ले कुछ करने के लिए तो ईश्वर भी साथ देता हैं परीक्षा की घड़ी में गुरु मौन धारण करके रहता है ।

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