यंत्र एवं मंत्र पर किसी भी देवता को पतिरूप में सिद्ध किया जा सकता है। यह एक गुप्त विद्या है। कहते है कि दुर्वासा ऋषि ने कुंती को यही मंत्र और यंत्र दिया था। इसी से उसने कर्ण , युधिष्ठिर, भीम एवं अर्जुन को उत्पन्न किया था। बाद में इस यंत्र-मन्त्र को उसने अपनी सौत मादरी को दिया था और उसने देवताओं के संयोग से नकुल और सहेद्व को जन्म दिया था।
यह सत्य है कि इस यंत्र-मंत्र के विधिवत प्रयोग से जिस देवता का आवाहन कर रहे है;स्त्री को उसी रूप-गुण का पुरुष प्राप्त होता है। अशरीर देवता भी प्रत्यक्ष होते है और देव रति से उसे सौभाग्य एवं सुख प्रदान होता है।
तंत्र की मान्यता है इस ब्रह्मांड में कई लोक हैं। सभी लोकों के अलग-अलग देवी देवता हैं जो इन लोकों में रहते हैं । पृथ्वी से इन सभी लोकों की दूरी अलग-अलग है। मान्यता है नजदीकि लोक में रहने वाले देवी-देवता जल्दी प्रसन्न होते हैं, क्योंकि लगातार ठीक दिशा और समय पर किसी मंत्र विशेष की साधना करने पर उन तक तरंगे जल्दी पहुंचती हैं। यही कारण कि यक्ष, अप्सरा, किन्नरी आदि की साधना जल्दी पूरी होती है, क्योंकि इनके लोक पृथ्वी से पास हैं।
कौन होते हैं यक्ष व यक्षिणी :
यक्षिणी को शिव जी की दासिया भी कहा जाता है, यक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है जादू की शक्ति। आदिकाल में प्रमुख रूप से ये रहस्यमय जातियां थीं। देव,दैत्य,दानव, राक्षस,यक्ष,गंधर्व,अप्सराएं, पिशाच,किन्नर, वानर, रीझ,भल्ल, किरात, नाग आदि। ये सभी मानवों से कुछ अलग थे। इन सभी के पास रहस्यमय ताकत होती थी और ये सभी मानवों की किसी न किसी रूप में मदद करते थे। देवताओं के बाद देवीय शक्तियों के मामले में यक्ष का ही नंबर आता है।
कहते हैं कि यक्षिणियां सकारात्मक शक्तियां हैं तो पिशाचिनियां नकारात्मक। बहुत से लोग यक्षिणियों को भी किसी भूत-प्रेतनी की तरह मानते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। रावण का सौतेला भाई कुबेर एक यक्ष था, जबकि रावण एक राक्षस। महर्षि पुलस्त्य के पुत्र विश्रवा की दो पत्नियां थीं इलविला और कैकसी। इलविला से कुबेर और कैकसी से रावण, विभीषण, कुंभकर्ण का जन्म हुआ। इलविला यक्ष जाति से थीं तो कैकसी राक्षस।
जिस तरह प्रमुख 33 देवता होते हैं, उसी तरह 64 यक्ष और यक्षिणियां भी होते हैं। इनमे से निम्न 8 यक्षिणियां प्रमुख मानी जाती है
- सुर सुन्दरी यक्षिणी
- मनोहारिणी यक्षिणी
- कनकावती यक्षिणी
- कामेश्वरी यक्षिणी
- रतिप्रिया यक्षिणी
- पद्मिनी यक्षिणी
- नटी यक्षिणी
- अनुरागिणी यक्षिणी
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