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Tuesday, 7 January 2020

अल्लाह कौन है? Who Is Allah


अल्लाह ही केवल है जो सब गूणों और विशेषताओं में पूर्ण है। अल्लाह तआला की कुछ महत्वपूर्ण विशेषता पवित्र क़ुरआन की इन आयतों में बयान की गई हैं।

ऐ नबी कहो, वह अल्लाह यकता है, अल्लाह सब से निरपेक्ष है और सब उसके मुहताज हैं। न उस की कोई संतान है और न वह किसी की संतान। और कोई उसका समकक्ष नहीं है।
और क़ुरआन के दुसरे स्थान पर अल्लाह ने अपनी यह विशेषता बयान की है:

“ और निः संदेह अल्लाह ही उच्च और महान है। ’’

अल्लाह तआला अपनी विशेषताओं और गुणों में सम्पूर्ण है और वह हर कमी और नक्स से पवित्र है। अल्लाह तआला की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं का बयान इन आयतों में किया गया हैः
अनुवादः अल्लाह वह जीवन्त शाश्वत सत्ता, जो सम्पूर्ण जगत् को सँभाले हुए है, उस के सिवा कोई पुज्य नही हैं। वह न सोता और न उसे ऊँघ लगती है। ज़मीन और आसमानों में जो कुछ है, उसी का है। कौन है जो उस के सामने उसकी अनुमति के बिना सिफारिश कर सके? जो कुछ बन्दों के सामने है, उसे भी वह जानता है और जो कुछ उस से ओझल है, उसे भी वह जानता है और उसके ज्ञान में से कोई चीज़ उनके ज्ञान की पकड़ में नहीं आ सकती, यह और बात है कि किसी चीज़ का ज्ञान वह खुद ही उनको देना चाहे। उसका राज्य आसमानों और ज़मीन पर छाया हुआ है और उनकी देख रेख उसके लिए थका देने वाला काम नहीं है। बस वही एक महान और सर्वोपरि सत्ता है.
अल्लाह तआला ही अकेला संसार और उसकी हर वस्तु का मालिक और स्वामी है, उसी ने सम्पूर्ण वस्तु की रचना की है, वही सब को जीविका देता है, वही सब को मृत्यु देता है, वही सब को जीवित करता है। इसी उपकार को याद दिलाते हुए अल्लाह तआला फरमाया हैः

अर्थातः “ वह आकाशों और धर्ती का रब और हर उस चीज़ का रब जो आकाशों और धर्ती के बीच हैं यदि तुम लोग वास्तव में विश्वास रखने वाले हो, कोई माबूद उसके सिवा नही है। वही जीवन प्रदान करता है और वही मृत्यु देता है। वह तुम्हारा रब है और तुम्हारे उन पुर्वजों का रब है जो तुम से पहले गुज़र चुके हैं।”
उसी तरह अल्लाह तआला को उनके नामों और विशेषताओं में एक माना जाऐ, अल्लाह के गुणों और विशेषताओं तथा नामों में कोई उसका भागीदार नहीं है। इन विशेषताओं और गुणों को वैसे ही माना जाऐ जैसे अल्लाह ने उसको अपने लिए बताया है या अल्लाह के नबी (अलैहिस्सलातु वस्सलाम) ने उस विशेषता के बारे में खबर दी है और ऐसी विशेषतायें और गुण अल्लाह के लिए न सिद्ध किये जाएं जो अल्लाह और उसके रसूल ने नहीं बयान किए हैं। पवित्र क़ुरआन में अल्लाह तआला का कथन हैः

“ अल्लाह के जैसा कोई नही है और अल्लाह तआला सुनता और देखता है।”
इस लिए अल्लाह के सिफात(विशेषताये) और गुणों को वैसे ही माना जाऐ जैसा कि अल्लाह ने खबर दी है या उसके संदेष्ठा / नबी (अलैहिस्सलातु वस्सलाम) ने खबर दी है। न उनके अर्थ को बदला जाए और न उसके अर्थ का इनकार किया जाए, न ही उन की कैफियत (आकार) बयान की जाए और न ही दुसरी किसी वस्तु से उसका उदाहरण दिया जाए, बल्कि यह कहा जाए कि अल्लाह तआला सुनता है, देखता है, जानता है, शक्ति शाली है जैसा कि अल्लाह की शान के योग्य है, वह अपनी विशेषता में पूर्ण है। उस में किसी प्रकार की कमी नहीं है। कोई उस जैसा नहीं हो सकता और न ही उस की विशेषता में भागीदार हो सकता है।

उसी तरह उन सर्व विशेषताओं और गुणों का अल्लाह से इन्कार किया जाए जिनका इन्कार अल्लाह ने अपने नफ्स से किया है या अल्लाह के नबी (अलैहिस्सलातु वस्सलाम) ने उस सिफत का इन्कार अल्लाह से किया है। जैसा कि अल्लाह तआला का फंरमान है.

अल्लाह कहाँ है ?

अल्लाह तआला आकाश के ऊपर अपने अर्श (सिंहासन) पर है। जैसा कि अल्लाह तआला का कथन हैः
इस आयत का अर्थः वह करूणामय स्वामी (जगत के) राज्य सिंहासन पर विराजमान है।

यही कारण है कि प्रत्येक मानव जब कठिनाई तथा संकट में होते हैं तो उनकी आँखें आकाश की ओर उठती हैं कि हे ईश्वर तू मुझे इस संकट से निकाल दे। किन्तु जब वह खुशहाली में होते हैं तो उसे छोड़ कर विभिन्न दरवाज़ों का चक्कर काटते हैं इस प्रकार स्वयं को ज़लील और अपमाणित करते हैं। ज्ञात यह हुआ कि हर मानव का हृदय कहता है कि ईश्वर ऊपर है, परन्तु पूर्वजों की देखा देखी अपने वास्तविक पालनहार को छोड़ कर बेजान वस्तुओं की भक्ति में ग्रस्त रहता है जिनसे उसे न कोई लाभ मिलता है न नुक्सान होता है।

अन्त में हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि वह हम सब को अपने सम्बन्ध में सही ज्ञान प्रदान करे।

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