वैष्णों देवी की उत्पत्ति भगवन विष्णु के अंश से हुई है इसलिए उन्हें ये नाम मिला है।वैष्णो देवी का मंदिर का एक मंदिर त्रिकुटा पर्वत पर भी स्थित है और इसीलिए उन्हें त्रिकुटा देवी भी कहा जाता है।बता दें कि वैष्णों देवी के दर्शन के लिए एक घुमावदार गुफा से होकर गुजरना पड़ता है। आपको बता दें कि ये गुफा प्राकृतिक नहीं है।ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले यहां पर काम संख्या में श्रद्धालु आते थे लेकिन समय बीतने के साथ ही यहां पर श्रद्धालु भी बढ़ने लगे और इसी को देखते हुए यहां पर एक कृत्रिम गुफा का निर्माण करवाया गया था। जब यहां भीड़ काबू से बाहर होती है तो इसकी प्राचीन गुफा के द्वार भी खोल दिए जाते हैं।
आइए जानते हैं इसके बारे में..
(1) मान्यता है की माँ वैष्णो की इस गुफा के दर्शन सिर्फ और सिर्फ किस्मत वालों को ही मिलता हैं क्योंकि कुछ व्यक्ति माँ वैष्णो देवी के मंदिर तो पहुँच जाते हैं परंतु दर्शन नहीं कर पाते हैं और उन्हें बिना दर्शन के वापस आना पड़ता हैं| माना जाता हैं की बुरे कर्म वाले व्यक्ति गुफा में फंस जाते हैं और आगे नहीं जा पाते हैं। वहीं पर गर्भगुफा का प्राचीन दरवाजा भी भक्तों की ज्यादा संख्या देख कर ही खोला जाता हैं|
(2) मान्यता हैं की जो व्यक्ति गर्भगुफा का एक बार दर्शन कर लेता हैं वह व्यक्ति पूरी जिंदगी सुखी जीवन व्यतीत करता है।
(3) जिस प्रकार बच्चा अपना माँ के गर्भ से एक बार निकल जाता हैं तो दोबारा गर्भ में नहीं जा सकता है ठीक उसी प्रकार माँ के इस गर्भ गुफा में व्यक्ति पूरी जिंदगी में एक ही बार जा सकता हैं|
(4) इस गर्भ गुफा की एक खासियत हैं की इसमें से पवित्र गंगा जल निकलता है जो अपने आप में ही एक चमत्कार है।
(5) बताया जाता हैं की इस गुफा में भैरव का शरीर रखा है। जब माँ वैष्णों ने भैरव को त्रिशूल से मारा था तो भैरव का सिर उड़कर भैरव घाटी में चला गया और शरीर उसी गुफा में रह गया था। तब से लेकर आजतक भैरव का शरीर उसी गुफा में हैं|
(6) माँ वैष्णो देवी के इस गुफा तक पहुंचने में कुंवारी या आद्यकुंवारी घाटी होकर गुजरना पड़ता है| इस गुफा को
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