करीब 700 एकड़ की जमीन में फैला यह विशाल किला अपनी भव्यता, आर्कषण और सौंदर्य की वजह से साल 2013 में यूनेस्को द्धारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
आपको बता दें कि इस किले के निर्माण को लेकर एक किवंदति भी है, जिसके अनुसार इस किले का निर्माण सिर्फ एक ही रात में महाभारत के समय पांच पाण्डु भाइयों में से सबसे बलशाली राजकुमार भीम ने अपने अद्भुत शक्ति का इस्तेमाल कर किया था।
फिलहाल, चित्तौड़गढ़ का यह किला प्राचीन कलाकृति के सर्वोत्तम उदाहरण में से एक है। तो आइए जानते हैं भारत के इस सबसे बड़े किले के इतिहास और इससे जुड़े रोचक एवं दिलचस्प तथ्यों
Chittorgarh kila History in Hindi
चित्तौड़गढ़ में करीब 180 मीटर की पहाड़ी में स्थित यह किला भारत का सबसे विशाल किला है, जिसके निर्माण और इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है।
इस भव्य किले के निर्माण कब और किसने करवाया इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन महाभारत काल में भी इस विशाल किले का होना बताया जाता था। इतिहासकारों की माने तो इस विशाल दुर्ग का निर्माण मौर्य वंश के शासकों द्धारा 7वीं शताब्दी में करवाया गया था।
वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि स्थानीय कबीले के मौर्य शासक राजा चित्रांग ने इस किले का निर्माण कर इसका नाम चित्रकोट रखा था।
इसके अलावा चित्तौड़गढ़ के इस विशाल किले के निर्माण को लेकर एक किवंदती के मुताबिक इस प्राचीनतम और भव्य किले को महाभारत के भीम ने बनवाया था, वहीं भीम के नाम पर भीमताल भीमगोड़ी, समेत कई स्थान आज भी इस क़िले के अंदर बने हुए हैं।
राजस्थान के मेवाड़ में गुहिल राजवंश के संस्थापक बप्पा रावल ने अपनी अदम्य शक्ति और साहस से मौर्य सम्राज्य के अंतिम शासक को युद्ध में हराकर करीब 8वीं शताब्दी में चित्तौड़गढ़ पर अपना शासन कायम कर लिया और करीब 724 ईसवी में भारत के इस विशाल और महत्वपूर्ण दुर्ग चित्तौड़गढ़ किले की 724 ईसवी में स्थापना की।
वहीं इसके बाद मालवा के राजा मुंज ने इस दुर्ग पर अपना कब्जा जमा लिया और फिर यह किला गुजरात के महाशक्तिशाली शासक सिद्धराज जयसिंह के अधीन रहा।
12वीं सदी में चित्तौड़गढ़ का यह विशाल किला एक बार फिर गुहिल राजवंश के अधीन रहा। इस तरह यह दुर्ग अलग-अलग समय पर मौर्य, सोलंकी, खिलजी, मुगल, प्रतिहार, चौहान, परमार वंश के शासकों के अधीन रह चुका है।
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