गरुड़ पुराण में माना जाता है कि किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार करके 13 दिनों की छूत के बाद फिर से घर की शुद्धिकरण किया जाता है। इसी तरह इस पुराण में अंतिम संस्कार से संबंधित कई बातें बताई गई है।
जब हम अंतिम संस्कार के लिए जाते है तो देखते है कि आखिर सूर्यास्त के बाद नहीं होता दाह संस्कार। इतना ही नहीं छेद वाले मटकी में जलभर परिक्रमा क्यों की जाती है। यह हमारे दिमाग में जरुर आता है, लेकिन हम यह बात जानते नहीं है कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है। इस बारें में गरुड़ पुराण में विस्तार से बताया गया है। जानिए अंतिम संस्कार के बारें में पूर्ण जानकारी।
सूर्यास्त के बाद नहीं होता दाह संस्कार
इस पुराण के अनुसार माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद कभी भी दाह संस्कार नहीं किया जाता। अगर किसा कि मृत्यु रात के मृत्यु हुई है तो उसका दूसरे दिन दाह संस्कार किया जाता है। इस बारें में माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने से मृतक व्यक्ति की आत्मा को परलोक में कष्ट भोगना पड़ता है और अगले जन्म में उसके किसी अंग में दोष हो सकता है। इस कारण सूर्या स्त के बाद दाह संस्कार नहीं किया जाता है।
इस पुराण के अनुसार माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद कभी भी दाह संस्कार नहीं किया जाता। अगर किसा कि मृत्यु रात के मृत्यु हुई है तो उसका दूसरे दिन दाह संस्कार किया जाता है। इस बारें में माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने से मृतक व्यक्ति की आत्मा को परलोक में कष्ट भोगना पड़ता है और अगले जन्म में उसके किसी अंग में दोष हो सकता है। इस कारण सूर्या स्त के बाद दाह संस्कार नहीं किया जाता है।
अंतिम संस्कार के कार्यों को पुत्र ही क्यों करे?
स्वाभाविक जिज्ञासा हो सकती है कि मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार के कार्यों को पुत्र ही क्यों करे? पिता के वीर्य से उत्पन्न पुत्र पिता के समान ही व्यवहार वाला होता है। हिन्दू धर्म में पुत्र का अर्थ है ‘पु’ नामक नरक से ‘त्र’ त्राण करना। पिता को नरक से निकालकर उत्तम स्थान प्रदान करना ही ‘पुत्र’ का कर्म है। यही कारण है कि पिता की समस्त और्द्व दैहिक क्रियाएं पुत्र ही करता है।
यजुर्वेद में अंत्येष्टि कर्म करने वालों के विषय में कहा गया है कि जो मनुष्य अंत्येष्टि विधिपूर्वक करते हैं वे सब प्रकार से परिवार का मंगल करने वाले होते हैं। अत: जीवात्मा के सूक्ष्म शरीर की मुक्ति के लिए मृत्योपरांत संस्कार का विधान किया गया है जिसका प्रभाव सूक्ष्म शरीर पर अवश्य पड़ता है।
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ReplyDeleteThis funeral home assistance normally happens two or three days before the funeral. Anyway now and again this isn't generally conceivable, for instance if the expired's family are going from a reasonable way away, or if the perished is older as they can't go so a lot.besteuitvaartverzekering.com/
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