रतिप्रिया यक्षिणी
अपने एकांत कमरे में रतिप्रिया यक्षिनी का चित्र लगाकर ‘ॐ ह्रीं आगच्छ-आगच्छ रतिप्रिये स्वाहा’ मंत्र का जाप करें। यह साधना रात्रि के अंधेरे में ही की जानी चाहिए। आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
भगवान शिव नें तंत्र का एसा ज्ञान दिया है जिसके माध्यम से आप जीवन में आ रही समस्त समस्याओं को मूल सहित नष्ट कर सकते हैं और एसा वैभवशाली जीवन जी सकते हैं जैसा के धनाध्यक्ष कुबेर का है , देवराज इन्द्र का है !!!! और यह सब संभव हो सकता है यदि आप सही विधि विधान से और अपने गुरुदेव से यक्षिणी साधना के गुप्त सूत्र प्राप्त करने के पश्चात ही साधना करें क्योंकि बिना गुप्त सूत्रों के यक्षिणी का प्रत्यक्षीकरण तो दूर की बात है आप तो उसकी साधना का प्रथम चरण यानि कि उसकी खुशबू के लिये ही तरस जाएँगे !!!! और यह बात भी सत्य है कि एक ही साधना कई चरणों में सम्पन्न होती है । जिसमें प्रथम चरण में उस यक्षिणी के बदन की सुगंध आती है । दूसरे चरण में घुँघरूओं की झंकार सुनाई देती है । तीसरे चरण में यक्षिणी का प्रत्यक्षीकरण होता है और फिर चौथे चरण में वो देवी पूर्णतः सिद्ध हो जाती है । यक्षिणीआँ और यक्ष हमेशा कुबेर की सेवा में लीन रहते हैं। अब कोषाध्यक्ष की सेवा में रहने वाले धन से वंचित रह जाएँ !! एसा हो ही नहीँ सकता । कुबेर भगवान की ही यक्षिणीओं में से एक का नाम है !!!!!"रतिप्रिया यक्षिणी"!!!! इसे "धनदा यक्षिणी" के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह अपने साधक को धन से मालामाल कर देती है । इस यक्षिणी का बदन स्वर्ण के समान आभा युक्त तथा गुलाब पुष्प की तरह कोमल होता है। उन्नत उरोज़ और नितंभ इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं । इसे देखते ही पहला शब्द मुख से निकलता है :- हे भगवान क्या सच में तेरी कायनात इतनी खूबसूरत थी या अब लगने लगी है.............!!!!! कुछ एसे ही विचार आपके मन में भी आएँगे जब आप इसे पहली बार देखोगे !!! यक्षिणीआँ अपने साधकों पे अपना सर्वस्व लूटा देतीं हैं और जो भी साधक चाहता है तत्काल उसके सामने उपस्थित कर देती हैं । यक्षिणीओं की साधना में अत्यंत ध्यान देने की जो बात है वो यह है कि कई बार साधना के दौरान यक्षिणी अत्यंत क्रोधित अवस्था में दर्शन देती है एसे में यदि उसे शांत करने की मुद्रा का ज्ञान ना हो तो आपकी मृत्यु निश्चित है इसलिए सारे ग्रंथ गुरु से ही ज्ञान प्राप्त करने को कहते हैं क्योंकि एक गुरु ही एसी मुद्राओं का ज्ञान दे सकता है जिनके प्रभाव से यक्षिणीओं को आना ही पड़ता है ॥ मेरा इस पोस्ट को डालने का मंतव्य यही था कि यक्षिणीओं के बारे में जो भ्रांतियाँ आप सब साधकों के मन में है वो दूर हो सकें और आपका समय तथा धन दोनों की ही बचत हो ॥
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