जपजी साहिब एक मूल मंत्र से आरंभ होता है, जो इस प्रकार है:इक ओंकार सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर प्रसादि।।
इस मूल मंत्र में प्रभु के गुण नाम कथन किए गए हैं। मूल मंत्र इक ओंकार से आरंभ होता है जिसका अथ है कि ‘ईश्वर एक ही है’। यही कारण है कि सिख धर्म एकेश्वरवाद के सिद्धांतों पर चलता है।
इस मूल मंत्र को पढ़ने के कुछ नियम है, जैसे कि सभी मात्राएं पढ़ी नहीं जाती। कुछ मात्राएं होते हुए भी, उच्चारित करते समय बोली नहीं जाती, इसलिए आपकी सहायता के लिए हम यहां हिंगलिश में भी मूल मंत्र दे रहे हैं - Ik onkar satnam karta purakh nirbhao nirvair, Akal murat ajuni saibhang gurparsad
AH Spiritual Secrets -
छुपे रहस्यों को उजागर करता है लेकिन इन्हें विज्ञान की कसौटी पर कसना भी जरूरी है हमारा देश विविध धर्मो की जन्म और कर्म स्थली है चैनल का प्रयास होगा रहस्यों का उद्घाटन करना और उसमे सत्य के अंश को प्रगट करना l इसमें हम तंत्र ,विज्ञान, खोजें,मानव की क्षमता,गोपनीय शक्तियों इत्यादि का पता लगायेंगे l आप लोग भी अपने अनुभव जो दूसरी दुनिया से सम्बन्ध दिखाते हो भेजें और यहाँ पर साझा करें आशा है ये वीडियोस और आर्टिकल आपको पसंद आयेंगे l पसंद आने पर सब्सक्राइब जरूर करें
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