शिव नमस्कार मंत्र नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शन्कराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।। ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिर्ब्रम्हणोधपतिर्ब्रम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
मान्यता है कि ये मंत्र भगवान शंकर को अतिप्रिय है। बता दें कि इस मंत्र का जाप शिव पूजन में रुद्राक्ष की माला से 108 बार करना चाहिए। द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र सौराष्ट्रे सोम्नथन्च, श्री शैलेमल्लिकार्जुनं।
उज्जैन्यांमहाकालं मोम्कारं ममलेश्वरं।।
परल्यां वैद्यनाथं च, दाखिन्यां भीमशन्करं।
सेतुबन्धेतुरामेषं नागेशं दारुकावने।।
वाराणष्यां तु विश्वेशं, त्रयंबकं गौतमि तटे।
हिमालये तु केदारं धुश्मेषं च शिवालये।।
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि, सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्त जन्म कृतं पापं स्मरेण विनश्यति।।
मंत्र की उत्पत्ति
यह मंत्र कृष्ण यजुर्वेद के हिस्से श्री रुद्रम् चमकम् में मौजूद है। श्री रुद्रम् चमकम्, कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय संहिता की चौथी किताब के दो अध्यायों (टी.एस. 4.5, 4.7) से मिल कर बना है। प्रत्येक अध्याय में ग्यारह स्तोत्र या हिस्से हैं।दोनों अध्यायों का नाम नमकम् (अध्याय पाँच) एवं चमकम् (अध्याय सात) है।ॐ नमः शिवाय मंत्र बिना "ॐ" के नमकम् अध्याय के आठवे स्तोत्र (टी.एस. 4.5.8.1) में 'नमः शिवाय च शिवतराय च' (IAST: Namaḥ śivāya ca śivatarāya ca) के रूप में मौजूद है। इसका अर्थ है "शिव को नमस्कार, जो शुभ है और शिवतरा को नमस्कार जिनसे अधिक कोई शुभ नहीं है। यह मंत्र रुद्राष्टाध्यायी में भी मौजूद है जो शुक्ल यजुर्वेद का हिस्सा है। यह मंत्र रुद्राष्टाध्यायी के पाँचवे अध्याय (जिससे नमकम् कहते हैं) के इकतालीसवे श्लोक में 'नमः शिवाय च शिवतराय च' (IAST: Namaḥ śivāya ca śivatarāya ca) के रूप में मौजूद है।
AH Spiritual Secrets -
छुपे रहस्यों को उजागर करता है लेकिन इन्हें विज्ञान की कसौटी पर कसना भी जरूरी है हमारा देश विविध धर्मो की जन्म और कर्म स्थली है चैनल का प्रयास होगा रहस्यों का उद्घाटन करना और उसमे सत्य के अंश को प्रगट करना l इसमें हम तंत्र ,विज्ञान, खोजें,मानव की क्षमता,गोपनीय शक्तियों इत्यादि का पता लगायेंगे l आप लोग भी अपने अनुभव जो दूसरी दुनिया से सम्बन्ध दिखाते हो भेजें और यहाँ पर साझा करें आशा है ये वीडियोस और आर्टिकल आपको पसंद आयेंगे l पसंद आने पर सब्सक्राइब जरूर करें
No comments:
Post a Comment