महाराष्ट्र की आईटी सिटी पुणे से 51 किमी दूर है जेजुरी। यह जगह अपने खंडोबा मंदिर के लिए दुनिया भर में मशहूर है। यहां हर साल दशहरे पर होने वाले हल्दी उत्सव को मनाने दूर-दूर से लोग आते हैं। इस दौरान हल्दी से पूरा मंदिर सोने की तरह चमक उठता है। इसके अलावा, यहां 42 किलो की तलवार उठाने का कॉम्पिटीशन होता है।
कौन थे खंडोबा... -
खंडोबा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पृथ्वी पर मल्ल और मणि राक्षस के अत्याचार बढ़ने के बाद उन्हें खत्म करने भगवान शिव ने मार्तंड भैरव का अवतार लिया था। - यह मंदिर एक छोटी-सी पहाड़ी पर है। यहां पहुंचने के लिए भक्तों को करीब 200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। - चढ़ाई करते समय मंदिर के प्रांगण में स्थित दीपमाला का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है। - यहां होने वाले हल्दी उत्सव से पहले खंडोबा भगवान की शोभायात्रा निकाली जाती है।
क्या है इस मंदिर में... -
मंदिर के देवता खंडोबा की प्रतिमा एक घोड़े की सवारी करते हुए एक योद्धा के रूप में यहां विराजमान है। उनके हाथ में राक्षसों को मारने के लिए एक बड़ी खड्ग (तलवार) है।
- खंडोबा नाम, खड्ग शस्त्र के नाम से ही लिया गया है। कुछ लोग खंडोबा को शिव, भैरव (शिव का रूप ) मानते हैं।
खंडोबा का महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई लोक गीतों और साहित्यिक कृतियों में उल्लेख है।
- ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार, राक्षसों मल्ला और मणि को भगवान ब्रह्मा से वरदान द्वारा संरक्षण प्राप्त था।
- इस वरदान के साथ वे अपने आपको अजेय मानने लगे और पृथ्वी पर संतों और लोगों को आतंकित करने लगे।
- यह सब देख गुस्से में भगवान शिव जी ने मार्तण्ड भैरव के रूप में (जिन्हें खंडोबा भी कहते हैं) नंदी की सवारी करते हुए दोनों राक्षसों को मारने का जिम्मा उठाया।
- कहा जाता है कि इस उत्तेजना में मार्तण्ड भैरव चमकते हुए सुनहरे सूरज की तरह लग रहे थे, पूरे शरीर पर हल्दी लगी हुई थी, जिसकी वजह से उन्हें हरिद्रा भी कहा जाता है।
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