Breaking

Post Top Ad

Your Ad Spot

Thursday, 29 August 2019

Sursundari Yakshini Sadhana



Sursundari Yakshini Sadhana


इस साधना को रात्रि ग्यारह बजे के बाद करना चाहिए. इसे करने के लिए कृष्ण पक्ष की अष्ठमी का दिन उचित होता है. इसके अतिरिक्त कोई शुक्रवार या कोई भी नवमी भी इस साधना के लिए उत्तम समय होता है. इस साधना में लाल वस्तु का विशेष महत्त्व है, इसलिए अपना आसन, वस्त्र आदि लाल रंग के ही होने चाहिए. आप उत्तर की तरफ मुख करके बैठ जाएँ. अब आपने सामने एक लाल रंग का वस्त्र बिछा दें. इस वस्त्र पर अक्षत को कुमकुम से रंजित करके एक मैथुन चक्र निर्मित करें.
अब इस मैथुन चक्र के बीचों बीच ‘दिव्यकर्षण गोलक’ सिंदूर से रंजित करके स्थापित कर दें. आप ‘दिव्यकर्षण गोलक’ नही होने पर सुपारी का उपयोग भी कर सकते हैं. इस तरह से ‘दिव्यकर्षण गोलक’ स्थापित करने के बाद अपने गुरुदेव या भगवान गणेश की आराधना करें. अब गोलक या सुपारी को योगिनी स्वरूप मानकर पूजन करें. पूजन के लिए लाल रंग के पुष्प, हल्दी, कुमकुम, अक्षत आदि अर्पित करें और तिल्ली के तेल का दीपक जलाएं. अब गुड़ का भोग लगायें और अनार रस भी अर्पित करें.
अब एक रुद्राक्ष की माला लेकर “ओम रं रुद्राय सिद्धेस्वराय नम:” इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए एक माला जप पूरा करें. अब थोड़ा सा अक्षत लेकर उसमे कुमकुम मिला लें और नीचे दिए गए मन्त्रों का उच्चारण करते हुए स्थापित गोलक या सुपारी पर थोड़ा-थोड़ा अर्पित करते जाएँ. इस दौरान  मन्त्रों का जप करें.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Your Ad Spot